मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में खदानों को बचाने के लिए टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जाएगा

मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में खदानों को बचाने के लिए टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जाएगा
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मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में खदानों को बचाने के लिए टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जाएगा

भोपाल
मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में खदानों को बचाने के लिए टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जाएगा। चित्रकूट के वन क्षेत्र में सरभंगा टाइगर रिजर्व बनाया जाना प्रस्तावित है, लेकिन वन विभाग का मानना है कि टाइगर रिजर्व के लिए वन क्षेत्र छोटा है। यहां राजस्व ग्राम एवं खदानें भी संचालित हैं। ऐसे में यहां टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जा सकता है। इसकी सूचना मुख्यमंत्री कार्यालय को दी गई है, जिससे वह इस विषय को अपने सिस्टम से हटा दें। दरअसल, चित्रकूट के जंगल में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए सतना के महापौर योगेश ताम्रकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर टाइगर रिजर्व बनाए जाने की मांग की थी।
 
शावकों के साथ 20 बाघ कर रहे हैं विचरण
वन मंडल सतना के मझगवां रेंज में मौजूद घने जंगल के अंदर विचरण कर रहे बाघों को देखते हुए सरभंगा टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए राज्य शासन के पास भेजा गया था। इस वन क्षेत्र में प्राकृतिक रहवास इतना अनुकूल है कि टाइगर रिजर्व पन्ना नेशनल पार्क के टाइगर और बाघों की आवाजाही भी इस क्षेत्र में निरंतर बनी रहती है। नेशनल पार्क से सरभंगा के जंगल प्राकृतिक पथ का हिस्सा हैं। इस इलाके में 20 बाघ अपने शावकों के साथ विचरण कर रहे हैं।

खदानों के कारण संकट में बाघ
सरभंगा जंगल की 12 बीटों में लगभग 13,925 हेक्टेयर वन क्षेत्र है। चित्रकूट के जंगल से सटे क्षेत्र में लगातार खनन गतिविधियां बढ़ रही हैं। इससे यहां विचरण कर रहे बाघ और अन्य वन्यजीव संकट में हैं। इन्हें संरक्षित रखने के लिए टाइगर रिजर्व की कार्ययोजना वर्ष 2016 में तत्कालीन डीएफओ आरबी शर्मा ने बनाई थी, लेकिन अब इस प्रस्ताव पर वन विभाग ने ही असहमति जताई है।