कैडेटों द्वारा महाविद्यालय में कार्यक्रम के तहत सफाई अभियान चलाया गया। जिसमें कैडेटों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक को इकट्ठा कर कचरे के ड्रम में डाला गया।

कैडेटों द्वारा महाविद्यालय में कार्यक्रम के तहत सफाई अभियान चलाया गया। जिसमें कैडेटों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक को इकट्ठा कर कचरे के ड्रम में डाला गया।
 | 
कैडेटों द्वारा महाविद्यालय में कार्यक्रम के तहत सफाई अभियान चलाया गया। जिसमें कैडेटों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक को इकट्ठा कर कचरे के ड्रम में डाला गया।
शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुरैना में एनसीसी कैडेटों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम एनसीसी कैडेटों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक को रोकने के लिए जन जागरूक रैली का आयोजन किया गया। यह रैली महाविद्यालय से बैरियर चौराहे तक पहुंची। बैरियर चौराहे से हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी होते हुए महाविद्यालय में संपन्न हुई। कैडेटों द्वारा महाविद्यालय में कार्यक्रम के तहत सफाई अभियान चलाया गया। जिसमें कैडेटों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक को इकट्ठा कर कचरे के ड्रम में डाला गया। समस्त कैडेट्स एवं स्टाफ को सिंगल यूज प्लास्टिक को रोकने के लिए शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम एवं रैली का नेतृत्व महाविद्यालय के एनसीसी अधिकारी मेजर राजवीर सिंह किरार द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य एवं पूर्व एनसीसी अधिकारी मेजर डॉ एसपी सारस्वत द्वारा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्लास्टिक का दैनिक जीवन में उपयोग प्राकृतिक पर्यावरण को प्रदूषित करता है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए हम सब जिम्मेदार है। अतः समय आ गया है कि पर्यावरण प्रदूषण को न्यूनतम करने के लिए समुचित और सार्थक प्रयास किए जाये और इन प्रयासों को हम अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनायें। तथा संकल्प लें कि प्लास्टिक को किसी भी रूप में उपयोग न करें। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. शीतल दंडोतिया द्वारा इस विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए बताया है कि प्लास्टिक बैग से पर्यावरण का ह््रास हो रहा है। पर्यावरण के बचाव के लिए हमें निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए, प्लास्टिक बैग के स्थान पर कैनवास बैग, पेपर बैग, जूट के बैग, का प्रयोग करना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. आर एल सखवार, डॉ. अलका वार्ष्णेय, डॉ मनोज शर्मा, 32 एनसीसी कैडेट्स उपस्थित हुये। कार्यक्रम का संचालन एनसीसी अधिकारी मेजर डॉ. आर.एस. किरार एवं आभार डॉ. केदार श्रीवास द्वारा किया गया।