काशी में दुनिया का अनोखा बैंक : मिलता है राम नाम का लोन, 97 सालों में संचित हुई 19 अरब से अधिक हस्तलिखित राम नाम की पूंजी

काशी में दुनिया का अनोखा बैंक : मिलता है राम नाम का लोन, 97 सालों में संचित हुई 19 अरब से अधिक हस्तलिखित राम नाम की पूंजी
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काशी में दुनिया का अनोखा बैंक : मिलता है राम नाम का लोन, 97 सालों में संचित हुई 19 अरब से अधिक हस्तलिखित राम नाम की पूंजी


वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में दुनिया का अनोखा राम रमापति बैंक स्थित है। इस बैंक ने रुपये नहीं, बल्कि राम नाम का लोन मिलता है। भक्तों को इसे चुकाना भी पड़ता है। इसकी बदौलत बैंक के पास पिछले 97 सालों में 19 अरब से अधिक राम नाम की हस्तलिखित पूंजी संचित हो चुकी है। रामनवमी से लेकर अगले 10 दिनों तक बैंक में संचित हस्तलिखित राम नाम के दर्शन व परिक्रमा के लिए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती है। 

 राम रमापति बैंक में पूरे साल लोन दिया जाता है। इसके लिए बैंक की ओर से कुछ नियम तय किए गए हैं। भक्त अपनी मनचाही मुरादें पूरा करने को इस बैंक से राम नाम का लोन लेते हैं। फिर 250 दिनों में उसे लौटाता भी पड़ता है। 97 साल पुराने इस बैंक में लेन देन का सारा काम भगवान राम के नाम पर ही होता है। 

रामनवरी से 10 दिनों तक इस बैंक में भक्त राम नाम की इस जमा पूंजी का दर्शन करने आते हैं। इस बैंक में अब तक 19 अरब 45 करोड़ से ज्यादा हस्तलिखित राम नाम की पूंजी भक्तों ने जमा किया है। पूरी दुनिया में यह इकलौता ऐसा बैंक है, जहां भगवान राम के नाम की इतनी बड़ी पूंजी जमा है। 

 काशी विश्वनाथ धाम के समीप है बैंक 

 राम रमापति बैंक श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के समीप स्थित है। बैंक का संचालन सरकार नहीं, बल्कि भगवान राम के भक्त ही करतें हैं। बैंक का संचालन करने वाले आकाश मेलरोत्रा ने बताया कि हर साल भक्तों के आस्था और विश्वास के कारण इस बैंक में रामनाम की पूंजी बढ़ती जा रही है। 

 हर दिन 500 राम नाम का करना पड़ता है लेखन

 आकाश ने बताया कि अपने मनोवांछित मनोकामना को पूरा करने के लिए भक्त यहां आते है। बैंक से अब तक हजारों लोगों की मुरादें पूरी हो चुकी हैं। इस बैंक से लोन लेते समय कुछ नियमों का पालन भी करना होता है। लोन लेने के साथ भक्तों को शपथ पत्र देना होता है। शपथ पत्र के मुताबिक, कर्ज लेने वाले श्रद्धालु को 8 महीने 10 दिन तक लगातार ब्रह्ममुहूर्त में 500 रामनाम का लेखन करना पड़ता है। इस दौरान भक्तों को सिर्फ सात्विक भोजन ही करना होता है। ऐसी मान्यता है जो 8 महीने 10 दिन इन नियमों का पालन करना है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।