पृथ्वी दिवस पर इस ग्रह की देखभाल करें और आध्यात्मिक रूप से विकसित हों - संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

पृथ्वी दिवस पर इस ग्रह की देखभाल करें और आध्यात्मिक रूप से विकसित हों - संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
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पृथ्वी दिवस पर इस ग्रह की देखभाल करें और आध्यात्मिक रूप से विकसित हों - संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

पृथ्वी दिवस हम सबके लिए पृथ्वी के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है क्योंकि यह हमें जीवन जीने के लिए कई प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों को उपलब्ध करती है। यह सभी संसाधन न सिर्फ हमारे लिए बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मूल्यवान है, इसलिए हम सभी को चाहिए कि इन सभी संसाधनों का प्रयोग हम बहुत ही सावधानी से करें। 
इन संसाधनों का सदुपयोग करने और पृथ्वी का सम्मान करने के लिए हमें अहिंसा का रास्ता अपनाना होगा, जिसमें कि हम इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों और प्राकृतिक संसाधनों से प्रेमपूर्वक व्यवहार करते हैं। इसमें इंसानों से लेकर जानवरों और पौधों तक सभी शामिल हैं। सिर्फ यह सोचकर ही हमें खुषी मिलती है कि इस विषाल अंतरीक्ष में यह ग्रह पिता-परमेष्वर का बनाया एक खूबसूरत रत्न है, जिसमें हम सब इस परिवार के एक सदस्य हैं। इसलिए हमें ऐसे कार्य करने चाहियें जिसमें कि हम एक-दूसरे की मदद करते हुए प्रेम और शांतिपूर्वक जी सकें।
इस ग्रह पर रहते हुए हम स्वस्थ तरीके से अपना जीवन यापन करें, ताकि हमारे परिवार और पूरे विष्व के लिए वर्तमान में और आने वाले समय में भी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों। 
इसके लिए हमें चाहिये कि हम इस ग्रह की देखभाल करते हुए शारीरिक, मानसिक और आत्मिक तौर पर विकसित हों। जिसके लिए हमें एक शाकाहारी जीवन शैली को अपनाना होगा और साथ ही साथ अपनी आत्मिक तरक्की के लिए अपने जीवन में हमें सद्गुणों को भी धारण करना होगा। जिसमें कि हम दूसरों की सेवा करते हुए ध्यान-अभ्यास के ज़रिये अपने अंतर में प्रभु-सत्ता से जुड़कर आध्यात्मिक रूप से विकसित हो सकते हैं। 
दूसरों की सेवा करना और मिल-जुलकर रहना आध्यात्मिकता का ही एक हिस्सा है। दूसरों के साथ मिलकर रहना और इस पृथ्वी की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है क्योंकि इस सृष्टि के कण-कण में परमात्मा विद्यमान हैं।
आईये, आध्यात्मिक रूप से बढ़ते हुए हम इस ग्रह, पेड़-पौधों, जानवरों और इंसानों की देखभाल करते हुए हम पृथ्वी दिवस मनायें और पृथ्वी द्वारा दिये गए बहुमूल्य उपहारों का सर्वोत्तम उपयोग करें।