सर्व ब्राह्मण समाज के मंच से परिचय देते हुए बोली युवतियां

शिक्षित, संस्कारित और रिस्पेक्ट करने वाला हो जीवनसाथी
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सर्व ब्राह्मण समाज के मंच से परिचय देते हुए बोली युवतियां

26 रिश्ते मौके पर तय हुए

कईयों के रिश्ते की बात चल पड़ी

जिझौतिया ब्राह्मण समाज मध्यप्रदेश द्वारा सर्व ब्राह्मण युवक युवती परिचय सम्मेलन शुक्रवार को गुफा मंदिर के मानस भवन में संपन्न हुआ। सम्मेलन में कई प्रदेशों के करीब 1500 युवक-युवतियां अपने अभिवावकों के साथ सुयोग्य जीवनसाथी तलाशने पहुंचे थे। पं. संदीप तिवारी ने बताया कि दिनभर चले परिचय, मेल-मिलाप और आपसी बातचीत के दौरान 26 रिश्ते तो मौके पर ही तय हो गए। वहीं कई रिश्तों की बातचीत आगे बढ़ गई है जो निकट भविष्य में तय हो जाएंगे। कई लोग आपस में रिश्तेदारी निकालते दिखे। युवक-युवतियों ने मंच से अपना परिचय दिया और जीवनसाथी कैसा हो अपनी पसंद बताई। युवतियों ने मंच से बेझिझक परिचय दिया। अपनी पसंद बताई।

अधिकांश युवतियों ने बताया कि जीवनसाथी सर्विस वाला हो या अच्छा बिजनेस करता हो, लेकिन संस्कारित हो और माता-पिता की रिस्पेक्ट करने वाला हो। अधिकांश युवाओं ने मंच से अपना परिचय देते हुए बताया कि उन्हें सुशील और गुणी जीवनसंगिनी चाहिए। बधु ऐसी हो जो घर के सदस्यों की रिस्पेक्ट करे और घर में सबके साथ घुल-मिलकर रहे। कार्यक्रम गुफा मंदिर के महंत रामप्रवेश दास जी महाराज, हरदा के दादाजी धाम के आचार्य श्री पंकज शर्मा जी एवं संत समाज के अनिलानन्द महाराज के सानिध्य में संपन्न हुआ। मंच पर कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, मप्र परशुराम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पं. विष्णु राजौरिया, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, कैलाश मिश्रा, राकेश चतुर्वेदी, गिरीश शर्मा, प्रहलाद किशोर मिश्रा, प्रेम गुरु व शिवनारायण शर्मा उपस्थित थे।

सर्व ब्राह्मण समाज के मंच से परिचय देते हुए बोली युवतियां

महंत रामप्रवेश दास ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज प्रत्येक माता पिता चाहते हैं कि मेरा बेटा आईएएस बने, अधिकारी बने मैं कहता हूं अपनी संतान को सबसे पहले ब्राह्मण बनाएं। यदि बालक अच्छे संस्कार और शिक्षा प्राप्त करेगा तो वह अधिकारी बनकर व अन्य क्षेत्रों के उच्च पदों पर पहुंचकर परिवार, समाज और देश के लिए अपने सद्कार्यों के माध्यम से सुदृढ़ बनाएगा। आज की सरकारें हमारे शंकरा को दूषित करने का कुचक्र चला रही हैं।

अंतरजातीय विवाह के नाम पर पैसे बांटे जा रहे हैं। यह सवर्णों के विरुद्ध कुचक्र है। सवर्ण समाज को इसका विरोध करना चाहिए। बच्चों के लिए शिक्षा और संस्कार अनिवार्य बनाएं। सभी ध्यान दें कि अपने बालक-बालिकाओं को शिक्षित और संस्कारित बनाते हुए संगठित रहें। हमें अपने बीज को सुरक्षित रखना होगा। महंत ने आगे कहा कि सगोत्रीय विवाह नहीं करना चाहिए। इसके दुष्परिणाम सामने आते हैं। गाय, ब्राह्मण और संतों की सेवा यहां नहीं होगी तो ये देश नष्ट हो जाएगा।

ब्राह्मण पूज्य होते हैं उनकी उपेक्षा, अनादर कदापि न हो। भगवान भी ब्राह्मण को पूजने के लिए अवतार लेते हैं। हरदा के दादाजी धाम से आए पंडित पंकज शर्मा ने ब्राह्मणों को अहम त्यागने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों को अहंकार नहीं रखना चाहिए। यह बुद्धि और चरित्र दोनों नष्ट करके हमारी दिशा बदल देता है। ब्राह्मण का आचरण मर्यादित होना चाहिए। इसीलिए उन्हें श्रेष्ठ कहा गया है। कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि ब्राह्मणों ने सदैव अन्य जाती धर्म के लोगों को दिशा देने का काम किया है। जिझौतिया ब्राह्मण यजुर्वेद में पारंगत रहे हैं और पूर्व में यमुना, तमाशा और नर्मदा नदी के आसपास का पूरा क्षेत्र जिझोती प्रदेश कहलाता था।

जिझौतिया ब्राह्मण समाज मध्यप्रदेश को भी मध्यप्रदेश की जगह जिझौती प्रदेश कहना चाहिए। पंडित गिरीश शर्मा ने कहा कि समाज में फैली विषमता समाप्त होनी चाहिए। आज मंत्री, आईएएस, आईपीएस, नेता, अभिनेता सभी ब्राह्मण उच्च शिखर पर बैठे हैं लेकिन यदि सभी अपने नीचे वालों का ध्यान रखने लगें तो समाज संपन्न हो जाएगा। कोई विषमता नहीं रहेगी। आज समाज के पास अपना मांगलिक भवन तक नहीं है। धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य करने के लिए गुफा मंदिर आना पड़ता है। समाज के संपन्न लोगों को जागने की जरूरत है। मध्यप्रदेश परशुराम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पंडित विष्णु राजौरिया ने समाज की एकता पर ध्यान केंद्रित किया। पंडित राजौरिया ने कहा कि एकता में शक्ति है हम सबको एक होना बहुत जरूरी है। यदि हम एक हो गए तो सब ठीक हो जाएगा। आगे उन्होंने कहा कि संतान को संस्कारी बनाएं। कान्वेंट कल्चर में पढ़ते हुए भी हम अपने संस्कार न भूलें। जिझौतिया ब्राह्मण समाज मध्यप्रदेश के संस्थापक पंडित राकेश चतुर्वेदी व प्रदेशाध्यक्ष पंडित किशोर मिश्रा ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम में पं. फूलचंद शास्त्री, रूपनारायण शास्त्री, डॉक्टर श्रीकांत अवस्थी, रितेश बाजपेई, अरुण द्विवेदी, गौरीशंकर शर्मा काका, नरेंद्र दीक्षित, महेंद्र शर्मा, वेद प्रकाश दुबे, राजेश रिछारिया, ओपी शर्मा, रामेश्वर दुबे, अरविंद शर्मा, अशोक बबेले, वृंदावन लिटोरिया, सुभाष दुबे, राजकुमार चौबे, मुकेश चौबे, विजय शंकर रावत, राकेश चौबे, कल्पना रावत, ममता दुबे, डॉक्टर वंदना मिश्रा, विष्णु तिवारी, रमेश  तिवारी, शीला रिछारिया, रूपा रिछारिया, वरुणा रिछारिया, तनुजा शर्मा, एसडी रिछारिया, संध्या मिश्रा, एलएन शर्मा, नरेश तिवारी सहराई, विदिशा से ओमप्रकाश चौबे, बैजनाथ बिलगैयां, देवास से रितेश शर्मा, गुना से रामनारायण शास्त्री, इंदौर से प्रहलाद किशोर मिश्रा, लखन तिवारी काका, दिनेश पुरोहित रमेश लिटोरिया, बीना से रामेश्वर नायक, वैभव दुबे आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।