जो भक्तों के पापों का हरण कर ले वही हरि: रमाकांत जी महाराज

अनोखे लाल द्विवेदी विशेष संवाददाता भोपाल |
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जो भक्तों के पापों का हरण कर ले वही हरि: रमाकांत जी महाराज


भोपाल |  श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिवस कथा सुनाते हुए कथा वाचक रमाकांत जी महाराज  ने बताया कि   श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया गया। छठे दिन व्यास पीठ पर विराजमान माकांत जी महाराज  ने रास पांच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है।
कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। कथा के दौरान आचार्य ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है।

जो भक्तों के पापों का हरण कर ले वही हरि: कथा व्यास
महाराज ने कथा का रसपान कराया। व्यासपीठ से कहा कि सर्वेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में अनेकानेक बाल लीलाएं कीं, जो वात्सल्य भाव के उपासकों के चित्त को अनायास ही आकर्षित करती हैं। जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि हैं।
कथा व्यास ने कहा कि नंदालय में गोपियों का तांता लगा रहता है। हर गोपी भगवान से प्रार्थना करती है कि किसी न किसी बहाने कन्हैया मेरे घर पधारें। जिसकी भगवान के चरणों में प्रगाढ़ प्रीति है, वही जीवन्मुक्त है। एक बार माखन चोरी करते समय मैया यशोदा आ गईं तो कन्हैया ने कहा कि मैया तुमने इतने मणिमय आभूषण पहना दिए हैं जिससे मेरे हाथ गर्म हो गए हैं तो माखन की हांडी में हाथ डालकर इन हाथों को शीतलता प्रदान कर रहा हूं।