श्री दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र मां दुर्गा के 108 नाम: पांच मिनट की साधना दिखाएगी कमाल

श्री दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र मां दुर्गा के 108 नाम: पांच मिनट की साधना दिखाएगी कमाल
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श्री दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र मां दुर्गा के 108 नाम: पांच मिनट की साधना दिखाएगी कमाल
हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति स्वरूपा माना गया है। मां दुर्गा की आराधना जीवन में आने वाली हर परेशानी से आपका बचाव करती हैं। नवरात्र में शक्ति की देवी मां दुर्गा की उपासना का विशेष महत्व होता है। इस बार शारदीय नवरात्र एक अक्तूबर से शुरू हो रहे हैं।
ऐसे में हम आपको बता रहे हैं मां दुर्गा की ऐसी उपासना, जिसे नवरात्र में प्रत्येक दिन पांच मिनट करने से आपकी हर इच्छा पूरी होगी। उपासना के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।
नौ दिन करें ब्रह्मचर्य का पालन
ऐसा कहा जाता है कि मां का स्मरण करने से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इन दिनों में भक्तों को मां भगवती की आराधना पूरे ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए करनी चाहिए। शुद्ध मन से मां की पूजा करने से भक्तों को उनकी तपस्या का सबसे ज्यादा फल मिलता है। इन नौ दिनों में आप बिना किसी मुहुर्त के मंगल कार्य शुरू कर सकते हैं।
ऐसे करें आराधना
शास्त्रों में मां दुर्गा के 108 नाम बताए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि प्रतिदिन सभी 108 नामों का उच्चारण करने से आपकी सभी इच्छाएं पूरी होती है। इसके लिए नवरात्र में प्रतिदिन स्नान करने के बाद शुद्ध आसन पर बैठकर मां दुर्गा के इन सभी नामों का स्मरण करें और बाद में आरती कर मौजूद भक्तनों में प्रसाद वितरित करें।
ईश्वर उवाच
शतनाम प्रवक्ष्यामि श्रृणुष्व कमलानने ।
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत सती ।।1।।
ऊँ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी ।
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी ।।2।।
पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपा: ।
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चिति: ।।3।।
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरूपिणी ।
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागति: ।।4।।
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा ।
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी ।।5।।
अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती ।
पट्टाम्बरपरीधाना कलमंजीररंजिनी ।।6।।
अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी ।
वनदुर्गा च मातंगी मतंगमुनिपूजिता ।।7।।
ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा ।
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृ्ति: ।।8।।
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा ।
बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना ।।9।।
निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी ।
मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी ।।10।।
सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी ।
सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा ।।11।।
अनेकशस्त्राहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी ।
कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यति: ।।12।।
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा ।
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला ।।13।।
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी ।
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी ।।14।।
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी ।
कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी ।।15।।
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम ।
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति ।।16।।
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च ।
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम ।।17।।
कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम ।
पूजयेत परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम ।।18।।
तस्य सिद्धिभवेद देवि सर्वै: सुरवरैरपि ।
राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात ।।19।।
गोरोचनालक्तककुंकुमेन
सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण ।
विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो
भवेत सदा धारयते पुरारि: ।।20।।
भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते ।
विलिख्य प्रपठेत स्तोत्रं स भवेत सम्पदां पदम ।।21।।
।।इति श्रीविश्वसारतन्त्रे श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम।।