धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक को अशुभ समय माना जाता है ऐसे में इन दिनों में 16 संस्कारों को करना वर्जित माना गया है

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक को अशुभ समय माना जाता है ऐसे में इन दिनों में 16 संस्कारों को करना वर्जित माना गया है
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हिंदू धर्म में शुभ व मांगलिक कार्यों को करने के लिए मुहूर्त देखना बहुत जरूरी होता है। मान्यता है कि अगर शुभ समय में कार्यों को किया जाए तो इसके सकारात्मक परिणाम मिलते है। वही अगर अशुभ समय में कार्यों को पूर्ण किया जाता है तो कोई फल प्राप्त नहीं होता है वही सनातन धर्म में होलाष्टक को महत्वपूर्ण बताया गया है। 

आपको बता दें कि हर साल होलाष्टक का आरंभ होली से आठ दिन पहले हो जाता है मान्यता है कि इस अवधि में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित होता है क्योंकि होलाष्टक के दिनों को अशुभ माना गया है। ऐसे में सभी शुभ व मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा होलाष्टक की तारीख और इससे जुड़ी जानकारी आपको प्रदान कर रहे है तो आइए जानते है। 

धार्मिक पंचांग के अनुसार होलाष्टक का आरंभ फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है और फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर होलिका दहन के साथ ही इसका समापन हो जाता है इस साल होलाष्टक 28 फरवरी से आरंभ होने जा रहे है जो कि 7 मार्च को होलिका दहन पर ही समाप्त होंगे। वही इस साल रंग वाली होली 8 मार्च को खेली जाएगी। 

होलाष्टक पर न करें ये काम—
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक को अशुभ समय माना जाता है ऐसे में इन दिनों में 16 संस्कारों को करना वर्जित माना गया है इस दौरान शादी विवाह, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते है इस अवधि में घर मकान का निर्माण कार्य भी नहीं शुरु करना चाहिए। इन दिनों में प्रॉपटी और वाहन की खरीदारी भी नहीं करनी चाहिए। होलाष्टक के आठ दिनों में नौकरी में बदलाव या नई नौकरी नहीं शुरु करनी चाहिए। ना ही इस दौरान धन का निवेश या कोई नया व्यापार करना चाहिए। ऐसा करने से आपको अशुभ परिणाम प्राप्त हो सकते है।