हर साल पौष माह चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी पड़ती है। इस दिन गणेश जी का पूजा करने का महत्व है

हर साल पौष माह चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी पड़ती है। इस दिन गणेश जी का पूजा करने का महत्व है
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हर साल पौष माह चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी पड़ती है। इस दिन गणेश जी का पूजा करने का महत्व है

हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। रात के समय चंद्रमा की पूजा और जल अर्पित किया जाता है। हर साल पौष माह चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी पड़ती है। इस दिन गणेश जी का पूजा करने का महत्व है। गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन किए गए उपायों से व्यक्ति को बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है।

पौष माह की शुरुआत 9 दिसंबर, शुक्रवार के दिन से हो रही है। इस माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। पौष माह में आने वाली चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा का विधान है। इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।इस दिन व्रत रखने वाले भक्त चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण करते हैं। बता दें कि इस बार अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत 11 नंवबर 2022 रविवार के दिन मानई जाएगी।

हिंदू कैलेंडर में तिथियां आगे और पीछे यानी कम या ज्यादा हो जाती है इस कारण से अंग्रेजी कैलेंडर में पौष का महीना दो बार आ गया। तिथियों के घट या बढ़ जाने से हिंदू कैलेंडर के महीने आगे हो जाते हैं। चतुर्थी तिथि पर व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं। गणेश पुराण के अनुसार चतुर्थी का व्रत रखने पर सौभाग्य और संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 2022-

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 11 दिसंबर 2022, रविवार के दिन अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन शाम 4 बजकर 14 मिनट से लेकर अगले दिन 12 दिसंबर 2022 शाम 06 बजकर 48 मिनट तक है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। ऐसे में 11 दिसंबर के दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।

संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजा का महत्व

संकष्टी जैसे की नाम से पता चलता है इसका मतलब होता है संकट को हरने वाली। इस कारण से संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा आराधना कर दुखों और संकटों से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। भगवान गणेश को शास्त्रों में विघ्नहर्ता कहा जाता है। इनकी पूजा उपासना करने से मनुष्य के जीवन से कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन जो सच्चे मन से शिव पुत्र भगवान गणेश का ध्यान करता है उसकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है और जीवन में सदैव सुख-समृद्धि का वास होता है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि और फल-

  •  संकष्टी चतुर्थी के दिन जल्दी सुबह उठकर स्नान करें और साफ किया गया वस्त्र धारण करें।
  •  स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेते हुए गणपति की पूजा- आराधना आरंभ करें।
  • संकष्टी चतुर्थी के दिन 21 गुड़ के लड्डू और 21 दूर्वा गणेश जी को अर्पित करने से व्यक्ति को बिजनेस में लाभ होगा और सफलता मिलेगी।
  • अगर आपके घर में पैसे की बरकत नहीं हो रही है, तो संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को गुड़ और घी अर्पित करने से लाभ होगा। ऐसा करने से व्यर्थ के होने वाले खर्चों पर ब्रेक लग जाएगा।
  • संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा का विधान है। ऐसे में इस दिन गं गणपतये नमः का 11 बार जाप करने से लाभ होगा। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को करियर में सफलता मिलती है।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन पान के पत्ते पर स्वास्तिक बनाकर भगवान गणेश की पूजा में रख दें। ऐसा करने से व्यक्ति को बीमारियों से छुटकारा मिल जाएगा।
  • अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन ऊँ गं गणपतये नमः का कम से कम 108 बार जाप करने से जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
  • पूजा करने से पहले भगवान गणेश की मूर्ति को साफ करके उनके माथे पर तिल करें।
  •  फिर इसके बाद पूजा की सामग्री के साथ विधिवत पूजा करें। ध्यान रखें पूजा सामग्री में दूर्वा घास और लडडू का भोग अवश्य लगाएं।
  • शाम के समय चंद्रमा के निकलने पर उन्हें अर्घ्य देते हुए गणेश वंदना और पाठ कर मन से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करें।