धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज भी भांडवीरवन को राधा कृष्ण के विवाह स्थल के नाम से जाना जाता है

हिंदू धर्म और शास्त्रों में भगवान कृष्ण की कई लीलाओं का बखान किया गया है फिर चाहे वो उनकी बाल लीला हो, प्रेम लीला हो या फिर युद्ध, इन सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी वैसे तो कई कथाएं प्रचलित है लेकिन श्रीराधा रानी संग उनके प्रेम को बेहद पवित्र और अटूट माना जाता है कहते हैं कि राजा संग कृष्ण का प्रेम इतना अटूट रहा है कि आज भी लोग उनके प्रेम को लेकर गाथा सुनाते है
यही कारण है कि कृष्ण और राधा जी का नाम एक साथ लिया जाता है जब जब श्रीकृष्ण की आराधना होती है तो राधा रानी का पूजन भी जरूर किया जाता है ऐसा कहा जाता है कि राधा संग कृष्ण का प्रेम बहुत अटूट था लेकिन इसके बाद भी दोनों का मिलन नहीं हुआ था लेकिन एक ऐसा पवित्र स्थल है जिसे राधा कृष्ण के विवाह का साक्षी बताया गया है और वो स्थान है बृज के भांडीरवन में स्थित राधा कृष्ण मंदिर, तो आज हम इसी पर चर्चा कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हम सभी जानते हैं कि भगवान कृष्ण का विवाह रुक्मणि और सोलह हजार कन्याओं के साथ हुआ था ऐसी कहानी सभी ने सुनी होगी। लेकिन राधा संग कृष्ण के विवाह से जुड़ी कथाएं अधिक प्रचलन में नहीं है मगर सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ ब्रह्मावैत पुराण में राधा कृष्ण के विवाह का वर्णन मिलता है इसके अनुसार एक बार नंदबाबा बालक कान्हा को भांडीर नामक वन लेकर गए थे यह वन वृंदावन से कुछ दूरी पर है
कहा जाता है कि नंदराय और श्रीकृष्ण को विहार अत्यंत प्रिय था उस वक्त दोनों विवाह कर रही रहे थे कि अचानक से तेज तूफान आया तूफान से बचनेके लिए नंदबाबा और कृष्ण एक वृक्ष के पास चले गए। कुछ ही देर में वहां राधा रानी भी पहुंच गई। नंदबाबा ने बालक कृष्ण को राधा रानी के हाथों में सौंप यिा और खुद वहां से चले गए। इसके बाद श्रीकृष्ण ने अपना दिव्य रूप धारण किया और ब्रह्मा जी ने राधा संग कृष्ण का विवाह कराया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज भी भांडवीरवन को राधा कृष्ण के विवाह स्थल के नाम से जाना जाता है भक्त इस पवित्र स्थल पर दर्शन और पूजन के लिए आते हैं।