भगवान जगन्नाथ मंदिर के कपाट इस वर्ष 4 जून से 18 जून तक बंद रखे जायेगे। इस दौरान भक्त भगवान के दर्शान नहीं कर पाएंगे।

भगवान जगन्नाथ मंदिर के कपाट इस वर्ष 4 जून से 18 जून तक बंद रखे जायेगे। इस दौरान भक्त भगवान के दर्शान नहीं कर पाएंगे।
 

हिन्दू धर्म में आषाढ़ माह का महत्त्व बहुत अधिक माना जाता है। ऐसा भी माना जाता है की इस माह में अगर भगवान विष्णु की पूजा, आराधना की जाए तो मन चाहे फल की प्राप्ती होती है। इस माह में देवशयनी एकादशी का व्रत भी रखा जाता है साथ ही दूसरी और ओडिशा में स्थित पूरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़े ही धूम धाम से निकाली जाती है। भगवन विष्णु का स्वरुप जगन्नाथ भगवान को माना जाता है, भगवान यहाँ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ विराजमान है और पूरी में निकाली जाने वाली रथ यात्रा का महत्वा हिन्दू धर्म में अधिक होता है। इस विशाल रथ यात्रा को देखने और इसका लाभ उठाने के लिए लाखो श्रद्धालु देश विदेश से यहा आते है। रथ यात्रा से पूर्व जगन्नाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते है, आइये आपको बताते है इसके पीछे का कारण।

भगवान जगन्नाथ देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ पूर्णिमा के दिन गर्भगृह से बहार आते है। बहार आने के बाद उनका सहस्त्र स्नान करवाया जाता है। इसके बाद गर्भगृह का पूजन, महाभोग, संध्या महाआरती, शोडशोपचार पूजन, पंचामृत किया जाता है और पुष्पांजलि तथा एक विशेष आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है। भगवान जगन्नाथ मंदिर के कपाट इस वर्ष 4 जून से 18 जून तक बंद रखे जायेगे। इस दौरान भक्त भगवान के दर्शान नहीं कर पाएंगे।

हिन्दू धर्म की मान्यता है की पूर्णिमा के दिन भगवान का 108 घंटे स्नान करने के कारण उन्हें बुखार आ जाता है और भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जानते है, इसीलिए भगवान 15 दिनों तक अपने शयन कक्ष में आराम करते है। आम लोगो जैसा ही भगवान का उपचार किया जाता है।