महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा का विधान है। इस बार महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी।

महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा का विधान है। इस बार महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी।
 

 एक ऐसा पर्व जिसका हर हिन्दू भक्त को बेसब्री से इंतजार रहता है वही ये पर्व हिन्दू परंपरा का एक बहुत बड़ा पर्व है। यह त्योहार फाल्गुल कृष्ण चतुर्दशी पर मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन महादेव का विवाह हुआ था। भगवान शिव की आराधना से व्यक्ति को जीवन में सम्पूर्ण सुख प्राप्त हो सकता है। इस दिन व्रत, उपवास, मंत्र जाप एवं रात्रि जागरण की खास अहमियत बताई गई है। महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा का विधान है। इस बार महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी। 

महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा क्यों है खास?

महाशिवरात्रि का हर क्षण शिव कृपा से भरा होता है। वैसे तो अधिकतर लोग प्रातःकाल पूजा करते हैं, किन्तु महाशिवरात्रि पर रात्रि की पूजा सबसे अधिक फलदायी होती है। एवं उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है- चार पहर की पूजा। ये पूजा संध्या से शुरू होकर ब्रह्म मुहूर्त तक की जाती है। इसमें रात्रि का सम्पूर्ण प्रयोग किया जाता है।

पहले पहर की पूजा:-

चार पहर पूजन से धर्म अर्थ काम एवं मोक्ष, सब प्राप्त हो जाते हैं। यह पूजा सामान्य रूप से संध्याकाल में होती है। प्रदोष काल में शाम 06.00 बजे से 09.00 बजे के बीच की जाती है। इस पूजा में शिव जी को दूध अर्पित करते हैं। जल की धारा से उनका अभिषेक किया जाता है। इस पहर की पूजा में महादेव मंत्र का जप कर सकते हैं। चाहें तो शिव स्तुति भी की जा सकती है।

दूसरे पहर की पूजा:-

यह पूजा रात तकरीबन 09.00 बजे से 12.00 बजे के बीच की जाती है। इस पूजा में शिव जी को दही अर्पित की जाती है। साथ ही जल धारा से उनका अभिषेक किया जाता है। दूसरे पहर की पूजा में महादेव मंत्र का जप करें। इस पूजा से व्यक्ति को धन एवं समृद्धि मिलती है।

तीसरे पहर की पूजा:-

यह पूजा मध्य रात्रि में तकरीबन 12.00 बजे से 03.00 बजे के बीच की जाती है। इस पूजा में शिव जी को घी अर्पित करना चाहिए। तत्पश्चात, जल धारा से उनका अभिषेक करना चाहिए। इस पहर में शिव स्तुति करना विशेष फलदायी होता है। शिव जी का ध्यान भी इस पहर में फलदायी होता है। इस पूजा से व्यक्ति की प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है।

चौथे पहर की पूजा:-

यह पूजा तड़के प्रातः तकरीबन 03.00 बजे से प्रातः 06.00 बजे के बीच की जाती है। इस पूजा में महादेव को शहद अर्पित करना चाहिए। तत्पश्चात, जल धारा से उनका अभिषेक होना चाहिए। इस पहर में शिव मंत्र का जप एवं स्तुति दोनों लाभदायी होती है। इस पूजा से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं एवं व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी हो जाता है।