नई दिल्ली
कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कही गई बात पर माफी मांगने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि सवाल पूछने का अधिकार संविधान देता है। हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चव्हाण ने दावा किया था कि भारत ऑपरेशन सिंदूर के पहले ही दिन हार गया था। साथ ही उन्होंने सेना में लाखों सैनिकों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि ज्यादा सैनिकों को कुछ और काम पर लगाया जाना चाहिए।
पत्रकारों से बातचीत में चव्हाण ने कहा, ‘मैं क्यों माफी मांगूंगा? संविधान ने मुझे सवाल पूछने का अधिकार दिया है…।’ उन्होंने बताया कि वह इस मुद्दे पर जल्द ही मीडिया से विस्तार से बात करने वाले हैं। जब सवाल किया गया कि क्या उनकी तरफ से दिया गया बयान गलत था क्या? इसपर उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल नहीं था।’
ऑपरेशन सिंदूर में भारत की हार का दावा
पुणे में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चव्हाण ने कहा, ‘(ऑपरेशन सिंदूर) के पहले ही दिन पूरी तरह से हार चुके थे। 7 मई को चले आधे घंटे के हवाई संघर्ष में हार गए थे। अब लोग इसे स्वीकार करें या न करें। भारतीय विमान गिरा दिए गए थे। वायुसेना पूरी तरह से जमीन पर थी और एक भी विमान नहीं उड़ा। अगर कोई विमान ग्वालियर, बठिंडा या सिरसा से उड़ता तो इस बात की काफी संभावनाएं थीं कि उसे पाकिस्तान गिरा देता। इसके चलते वायुसेना पूरी तरह से जमीन पर थी।’
पहले दिन हम बुरी तरह हार गए थे
कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने ऑपरेशन सिंदूर पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के पहले दिन भारतीय वायु सेना को पूरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। चव्हाण ने कहा, “7 मई को पहले दिन हम बुरी तरह हार गए थे। उस, दिन आधे घंटे की हवाई लड़ाई हुई, उसमें हम पूरी तरह हार गए, चाहे लोग इसे मानें या न मानें। भारतीय विमानों को मार गिराया गया। एयर फोर्स पूरी तरह से ग्राउंडेड थी और एक भी विमान नहीं उड़ सका।”
चव्हाण ने पुणे में संवाददाताओं से बात करते हुए आगे कहा, “अगर ग्वालियर, बठिंडा या सिरसा से कोई विमान उड़ान भरता, तो पाकिस्तान द्वारा उसे मार गिराए जाने की बहुत ज़्यादा संभावना थी, इसीलिए एयर फोर्स पूरी तरह से ग्राउंडेड थी।”
मराठी नेता देश का प्रधानमंत्री बनेगा
चव्हाण ने आज अपने इस दावे को फिर दोहराया कि जल्द ही एक मराठी नेता देश के प्रधानमंत्री का पद संभाल सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 19 दिसंबर को भारत के प्रधानमंत्री बदल जाएंगे। चव्हाण, जो पहले प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री रह चुके हैं और नई दिल्ली में अपने मजबूत संपर्कों के लिए जाने जाते हैं, ने कहा कि उनके अनुभव और संपर्कों को देखते हुए उनके इस बयान को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
उन्होंने अमेरिका में एक व्यक्ति के बारे में सनसनीखेज दावा भी किया, जो कथित तौर पर इजरायली खुफिया एजेंट है। उनके अनुसार, इस व्यक्ति ने कई प्रभावशाली हस्तियों के बंगलों में कैमरे लगाए थे और एक स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया था। उन्होंने दावा किया कि यह व्यक्ति जल्द ही प्रमुख वैश्विक नेताओं का पर्दाफाश कर सकता है, जिससे अमेरिका में एक बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है।
19 दिसंबर की फिर की चर्चा
चव्हाण ने कहा कि अमेरिका में एक नया कानून लागू किया जा रहा है, जिसके बाद 19 दिसंबर को इन प्रमुख हस्तियों के नाम सामने आने की संभावना है। हालांकि चव्हाण ने स्पष्ट किया कि उन्हें नहीं पता कि ये नेता कौन हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस कथित स्टिंग ऑपरेशन का असर भारत में भी महसूस होगा और संभवतः इससे भारत के प्रधानमंत्री में बदलाव हो सकता है। इससे पहले उन्होंने सांगली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी ऐसा ही बयान दिया था, जहां उन्होंने कहा था कि जल्द ही एक मराठी नेता अगला प्रधानमंत्री बनेगा।
इस बार चव्हाण ने अपने दावे को अमेरिका में हो रहे राजनीतिक घटनाक्रमों से जोड़ते हुए कहा कि जेफरी एपस्टीन फाइलों ने वहां भारी उथल-पुथल मचा दी है और यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कुर्सी भी खतरे में दिख रही है। इस बीच, भाजपा नेताओं ने चव्हाण के दावों पर कड़ा सवाल उठाते हुए पूछा है कि अमेरिकी दस्तावेजों पर आधारित राजनीतिक उथल-पुथल से भारत के प्रधानमंत्री में बदलाव कैसे हो सकता है। उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया है कि एक मराठी नेता प्रधानमंत्री बनेगा और नेतृत्व परिवर्तन की किसी भी संभावना को नकार दिया है।
भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ गलत सूचना फैलाने के लिए जानबूझकर ऐसे बयान दिए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछले कुछ दिनों से भ्रम और अशांति पैदा करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साजिश चल रही है।
सेना में सैनिकों की संख्या पर सवाल
चव्हाण ने कहा, ‘सेना की बात करें तो हमारे पास 12 लाख से 15 लाख सैनिक हैं, जबकि पाकिस्तान के पास पांच लाख से छह लाख सैनिक हैं। लेकिन इसका (बड़ी संख्या का) कोई महत्व नहीं है क्योंकि उस तरह का युद्ध (जमीनी स्तर पर) अब नहीं होगा।’ यहां पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इतनी बड़ी सेना रखने की आवश्यकता पर सवाल उठाया।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘अब यह मायने नहीं रखता कि आपके पास कितनी पैदल सेना है, क्योंकि कोई भी आपको उस तरह का युद्ध नहीं करने देगा। हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा है कि सेना एक किलोमीटर भी आगे नहीं बढ़ी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लड़ाई सिर्फ हवाई और मिसाइल हमलों तक सीमित रही और आगे भी युद्ध इसी तरह होंगे।’ चव्हाण ने कहा, ‘ऐसे में 12 लाख सैनिकों की सेना रखने की क्या जरूरत है? उन्हें किसी और काम में लगाना बेहतर होगा।’
