जनादेश को नकार रहा विपक्ष, संसद में व्यवहार अशोभनीय : प्रह्लाद जोशी

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हुबली
 केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शनिवार को विपक्ष के रवैये को अशोभनीय बताया। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहा है कि कैसे देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में अपना जनादेश दे दिया। यह दुर्भाग्य की बात है कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के बावजूद विपक्ष के लोग जनता के निर्णय को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि 2008 में कर्नाटक की जनता ने हमारे पक्ष में जनादेश दिया था, तो हम सत्ता में थे और जब इन लोगों को जनता ने चुना है, तो हमने इस बात को सहर्ष स्वीकार किया था। अब जब जनता ने हमें विपक्ष में रहने के लिए चुना है, तो हमें इस बात से कोई हर्ज नहीं है। हम इसे सहर्ष स्वीकार करते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में विपक्ष के लोगों के लिए यही बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है कि वे जनादेश को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, जबकि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता का मत सर्वोपरि होता है। इससे किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता है। लेकिन, अफसोस की बात है कि विपक्ष के लोग इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। आज की तारीख में विपक्ष अपरिपक्व व्यवहार कर रहा है।
वहीं, उन्होंने मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इससे पहले 2002 में भी एसआईआर हो चुका है। लेकिन, अब इसकी प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव किया गया है। यह बदलाव शुद्धिकरण को बढ़ावा देने के मकसद से किया गया है। लेकिन, पता नहीं क्यों कांग्रेस नेता राहुल गांधी इसके विरोध में कौन सा तर्क दे रहा है और वो जिस तरह का तर्क दे रहे हैं, उसे उनके विपक्ष के साथ ही स्वीकार नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में उनका यह तर्क पूरी तरह से बेबुनियादी साबित हो रहा है, जिसे मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इंडिया गठबंधन के कई नेता राहुल गांधी के तर्क से सहमत नहीं हैं। लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि वो अपनी विफलता को छुपाने के लिए इस तरह का तर्क दे रहे हैं, जिसमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि जब तत्कालीन नेहरू सरकार की आलोचना की गई थी, तो इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने से भी गुरेज नहीं किया था। हमें आपातकाल से लेकर शाहाबुद्दीन के केस में क्या हुआ था, सबके बारे में अच्छे से पता है। आज की तारीख में कांग्रेस की स्थिति ऐसी बन चुकी है कि अगर न्यायालय का आदेश इनके पक्ष में आता है, तो इन्हें न्यायपालिका पर भरोसा रहता है। लेकिन, जब न्यायालय का आदेश इनके विरोध में आता है, तो इनका भरोसा न्यायपालिका से उठ जाता है। आखिर यह क्या तरीका है? इन लोगों को शायद यह नहीं पता है कि इस देश में न्यायपालिका नाम की एक व्यवस्था है, जिसके तहत अगर दो पक्षों के बीच में झगड़ा होता है, तो ऐसी स्थिति में न्यायालय की तरफ से समस्या के समाधान के लिए हस्तक्षेप किया जाता है।

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