‘समाजवादी’ शब्द पर बाबा साहेब ने जताया था विरोध, ‘सेक्युलर’ को लेकर क्या थी डॉ. आंबेडकर की सोच?

‘समाजवादी’-शब्द-पर-बाबा-साहेब-ने-जताया-था-विरोध,-‘सेक्युलर’-को-लेकर-क्या-थी-डॉ.-आंबेडकर-की-सोच?

नई दिल्ली 
संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘पंथ निरपेक्ष’ इन दो शब्दों को निकालने को लेकर आज भी बहस होती रहती है। यह बहस कोई नई नहीं है। संविधान निर्माण के समय जब केटी शाह ने आर्टिकल 1 में इन दोनों शब्दों को शामिल करने के लिए प्रस्ताव पेश किया था तो इसपर चर्चा के दौरान डॉ. भीमराव आंबेडकर ने इसका विरोध किया था। बाद में यह संशोधन प्रस्ताव खारिज हो गया था। केटी शाह ने 15 नवंहर 1948 को प्रस्ताव पेश किया था कि भारत एक पंथ निरपेक्ष, संघ और समाजवादी राज्यों का संघ होगा। वह चाहते थे कि आर्टिकल 1 में समाजवादी, संघीय और पंथ निरपेक्ष शब्दों को जोड़ा जाए।
 
उनका तर्क था कि देश में जिस तरह से जाति, धर्म और नस्ल के आधार पर भेदभाव हुआ है वह आगे भी हो सकता है और इसलिए आर्टिकल 1 में ही पंथ निरपेक्ष शब्द शामिल करना जरूरी है। उनका कहना था कि समाजवाद शब्द देश में सबको बराबर अवसर दिलाने और बराबरी का अधिकार दिलाने का प्रतीक होगा।

डॉ. आंबेडकर की क्या थी प्रतिक्रिया
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने ‘समाजवाद’ शब्द को शामिल करने का विरोध किया था। हालांकि उन्होंने पंथ निरपेक्ष शब्द पर कोई आपत्ति जाहिर नही की थी। डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि हो सकता है कि बहुत सारे लोग समाजवादी सोसइटी को पूंजीवादी समाज से अच्चा मानते हों। हालंकि इस सयम जो भी समाजवादी संगठन सक्रिय हैं, हो सकता है कि भविष्य में उनमें बदलाव आए। यह भी हो सकता है कि भविष्य के संगठन ज्यादा अच्छे हों। उन्होंने कहा कि संविधान में पहले से ही मौलिक अधिकारों की बात कही गई है। इसके अलावा नीति निर्देश सिद्धांतों को भी बाकायदा उल्लेख है। ऐसे में अब समाजवादी शब्द की क्या जरूरत है, यह मेरी समझ से परे है।

जानकारों का कहना है कि डॉ. आंबेडकर ने पंथ निरपेक्ष शब्द पर इसलिए मौन रखना स्वीकार किया क्योंकि उन्हें पता था कि इस शब्द से धर्म को मानने की आजादी नहीं मिलने वाली है। वहीं बाद में 1976 में 42 संशोधन अधिनियम के जरिए प्रस्तावन में ‘समाजवादी’ और ‘पंथ निरपेक्ष’ दोनों शब्द जोड़ दिए गए। अब बस चल रही है कि कि आखिर सा क्यों किया गया था। आरएसएस के सर कार्यवाहक दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि इन दोनों शब्दों को प्रस्तावना से हटाने पर चर्चा होनी चाहिए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *