नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने रेपो रेट में कटौती कर दी है। यह 0.25 प्रतिशत की है, जिसके बाद रेपो रेट घटकर 5.25 प्रतिशत रह गई है। मजबूत आर्थिक वृद्धि और महंगाई में नरमी के बीच RBI ने नीतिगत दर में यह कटौती की है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने समिति के फैसलों की जानकारी दी।
इंडस्ट्रियल क्रेडिट ग्रोथ भी मजबूत- संजय मल्होत्रा
RBI गवर्नर ने कहा है कि इंडस्ट्रियल क्रेडिट ग्रोथ भी मजबूत हुई है। बड़ी इंडस्ट्रीज़ में भी क्रेडिट ग्रोथ दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि पहले के रेट कट का असर सभी सेक्टरों में बड़े पैमाने पर हुआ है। साल 2025 में रेपो रेट में अब तक कुल 1.25 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने इस साल फरवरी से जून तक रेपो रेट में कुल 1 प्रतिशत की कटौती की थी।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है और वो इस फायदे को ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। यानी, आने वाले दिनों में होम और ऑटो जैसे लोन 0.25% तक सस्ते हो जाएंगे।
ताजा कटौती के बाद 20 साल के ₹20 लाख के लोन पर ईएमआई 310 रुपए तक घट जाएगी। इसी तरह ₹30 लाख के लोन पर ईएमआई 465 रुपए तक घट जाएगी। नए और मौजूदा ग्राहकों दोनों को इसका फायदा मिलेगा।
रेट कट के बाद शेयर बाजार में तेजी
RBI की ओर से रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती किए जाने के बाद शेयर बाजार में तेजी है। सुबह 11 बजे के करीब BSE 311.74 अंकों की बढ़त के साथ 85,577.06 पर है। सुबह यह गिरावट में खुला था। एनएसई भी 90.70 अंकों की बढ़त के साथ 26,124.45 पर है। NSE के सेक्टोरल इंडेक्सेज में गिरावट और तेजी का मिलाजुला रुख है।
1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड की खरीद-बिक्री करेगा RBI- संजय मल्होत्रा
RBI गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक कैश मैनेजमेंट के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड की खरीद-बिक्री करेगा। उन्होंने बैंक, एनबीएफसी से अपनी पॉलिसी और संचालन के केंद्र में ग्राहकों को रखने का भी निर्देश दिया। साथ ही कहा कि स्थिरता सुनिश्चित करते हुए अर्थव्यवस्था की उत्पादक जरूरतों को हम सक्रिय तरीके से पूरा करना जारी रखेंगे।
रेपो रेट के घटने से हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी हाउसिंग और ऑटो जैसे लोन्स पर ब्याज दरें कम करते हैं। ब्याज दरें कम होने पर हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी। ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।
RBI ने महंगाई अनुमान घटाया, GDP अनुमान बरकरार रखा
इस साल 4 बार घटी रेपो रेट, 1.25% की कटौती हुई RBI ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी।
दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25% घटाई गई। जून में तीसरी बार दरों में 0.50% कटौती हुई। अब एक बार फिर इसमें 0.25% की कटौती की गई है। यानी, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार में ब्याज दरें 1.25% घटाई।
रेपो रेट क्या है, इससे लोन कैसे सस्ता होता है? RBI जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों को लोन सस्ता मिलता है, तो वो अकसर इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं।
रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है? किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।
पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।
इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।
हर दो महीने में होती है RBI की मीटिंग मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 RBI के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। RBI की मीटिंग हर दो महीने में होती है।
बीते दिनों रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठकों का शेड्यूल जारी किया था। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हुई थी।
अब हर साल ईएमआई पर बचेंगे हजारों रुपये, इन पैसों से बनेगा मोटा फंड
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार 5 दिसंबर को इस साल का एक और बड़ा तोहफा देते हुए लोन की ब्याज दरों में बड़ी कटौती कर दी है. गवर्नर ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की तो बैंक से लोन लेने वाले हर आदमी के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी. उन्हें लग गया कि अब उनके मकान खरीदने और वाहन खरीदने के सपने और भी सस्ते होने जा रहे हैं. गवर्नर के इस फैसले का एक आदमी पर कितना असर पड़ेगा, इसकी झलक एक छोटे से कैलकुलेशन से ही साफ समझ आ जाती है.
दरअसल, रिजर्व बैंक की रेपो रेट यानी नीतिगत ब्याज दरों में कटौती होते ही सभी बैंकों को अपने खुदरा लोन की ब्याज दरें भी घटानी पड़ेंगी. इन खुदरा कर्ज में होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सहित हर तरह के छोटे-मोटे लोन आते हैं. रिजर्व बैंक ने इस साल तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है और अब लोन की ब्याज दरें 1.25 फीसदी तक नीचे आ चुकी हैं. जाहिर है कि मकान और वाहन खरीदने वालों के लिए यह किसी तोहफे से कम नहीं है. इस बार 0.25 फीसदी की ब्याज दरें घटाने पर 50 लाख का होम लोन लेने वाले को आखिर कितने रुपये की बचत होगी.
50 लाख के लोन पर अभी कितनी ईएमआई
मान लीजिए किसी ने मकान खरीदने के लिए 50 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए लिया है और उस पर 8.25 फीसदी का सालाना ब्याज दे रहा है. इस लोन पर मौजूदा ईएमआई 42,603 रुपये हर महीने होगी. इसका मतलब है कि पूरे टेन्योर में आपको ब्याज के रूप में 52,24,788 रुपये चुकाने होंगे और आपकी कुल देनदारी 1,02,24,788 रुपये रहेगी. इसका मतलब है कि आपने जितना लोन लिया था, उससे ज्यादा ब्याज के रूप में चुकाना होगा.
नई ईएमआई कितने रुपये होगी
अब जबकि आपके होम लोन की ब्याज दरें 0.25 फीसदी कम हो गई हैं तो 50 लाख के लोन पर 8 फीसदी का सालाना ब्याज देना होगा. ऐसे में 20 साल के टेन्योर के लिए आपकी हर महीने ईएमआई होगी 41,822 रुपये. इस तरह, पूरे टेन्योर में आपको ब्याज के रूप में 50,37,281 रुपये ही चुकानें होंगे, जिसका मतलब है कि आपकी कुल देनदारी हो जाएगी 1,00,37,281 रुपये. अब एक बात तो तय है कि आपने जितना लोन लिया था, उससे महज 37 हजार रुपये ही ज्यादा ब्याज का भुगतान करना होगा.
कितने रुपये की होगी बचत
सीधा गणित है कि ब्याज घटने से आपकी ईएमआई भी निश्चित रूप से कम हो जाएगी. ऊपर दिए आंकड़े पर नजर डालें तो 50 लाख का लोन अगर 20 साल के लिए है तो ब्याज दरों में सिर्फ 0.25 फीसदी की कटौती से ही हर महीने की ईएमआई 781 रुपये कम हो जाएगी. इसका मतलब है कि हर साल आपको ईएमआई के रूप में 9,372 रुपये की बचत होगी, जबकि पूरे 20 साल के टेन्योर में आप 1,87,440 रुपये बचा ले जाएंगे.
