पुतिन–मोदी मुलाकात: वेपन, मिसाइल और S-500 पर क्या बड़ी घोषणाएँ हो सकती हैं?
पुतिन का संदेश: भारत संग गर्मजोशी और अमेरिका को पावर शिफ्ट का संकेत — जानें 10 मुख्य पॉइंट
पुतिन–मोदी मीटिंग: न्यूक्लियर रिएक्टर से आर्थिक साझेदारी तक कई अहम मुद्दों पर बात होगी
नई दिल्ली
आज भारत और रूस के बीच 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हो रही है. यह मुलाकात सिर्फ दोस्ती की नहीं, बल्कि रक्षा क्षेत्र में बड़े सौदों की उम्मीद जगाने वाली है. हथियार, मिसाइलें, फाइटर जेट्स और खासतौर पर रूसी Su-57 फाइटर जेट तथा S-500 एयर डिफेंस सिस्टम पर डिफेंस कंपनियों और विशेषज्ञों की नजरें टिकी हुई हैं.
अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत रूस के साथ अपनी पुरानी साझेदारी को मजबूत करने को तैयार है. आइए, जानते हैं कि इस सम्मेलन से क्या-क्या उम्मीदें हैं.
सम्मेलन का बैकग्राउंड: पुरानी दोस्ती, नई चुनौतियां
रूसी राष्ट्रपति पुतिन 4 दिसंबर को दिल्ली पहुंचे, जहां पीएम मोदी ने खुद एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया. यह चार साल बाद पुतिन का भारत दौरा है. सम्मेलन का मुख्य फोकस रक्षा, ऊर्जा और व्यापार पर है. रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2024 में भारत के 36 फीसदी हथियार रूस से आए थे. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूसी S-400 सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन्स को 95 फीसदी नष्ट कर दिया था, जिससे भारत को इसकी ताकत का पता चला. अब भारत और पांच और S-400 यूनिट्स खरीदने की योजना बना रहा है, साथ ही उन्नत S-500 पर बातचीत हो सकती है.
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि रूस के साथ हमारी रक्षा साझेदारी लंबे समय से चली आ रही है. इस सम्मेलन से सहयोग गहरा होगा. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने भी पुष्टि की कि S-400 और Su-57 पर चर्चा होगी.
मुख्य ऐलान जिन पर नजरें टिकीं
डिफेंस सेक्टर की कंपनियां जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) इन ऐलानों से फायदा उठाने को बेताब हैं. यहां हैं प्रमुख मुद्दे…
Su-57 फाइटर जेट्स: भारत की पांचवीं पीढ़ी की ताकत
रूस का Su-57 (नाटो नाम: फेलॉन) एक स्टील्थ फाइटर जेट है, जो अमेरिकी F-35 का मुकाबला कर सकता है. इसमें सुपरक्रूज, एडवांस्ड रडार और लंबी दूरी की मिसाइलें लगी हैं. भारत को कम से कम दो स्क्वाड्रन (लगभग 84 जेट्स) चाहिए, ताकि वायुसेना की कमी पूरी हो सके.
कीमत: प्रति जेट करीब 30 करोड़ डॉलर. रूस 100 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर देने को तैयार है, ताकि भारत में ही इन्हें बनाया जा सके. HAL नासिक में प्रोडक्शन हो सकता है. विशेषज्ञ कहते हैं- यह भारत के स्वदेशी AMCA प्रोजेक्ट का स्टॉप-गैप होगा.
क्रेमलिन ने कहा कि यह दुनिया का सबसे अच्छा फाइटर है. हम भारत के साथ जॉइंट प्रोडक्शन चाहते हैं. अगर डील हो गई, तो यह 74 अरब डॉलर का सौदा हो सकता है.
S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम: हाइपरसोनिक हमलों का जवाब
S-500 ‘प्रोमिथियस’ S-400 से भी आगे है. यह हाइपरसोनिक मिसाइलें, बैलिस्टिक मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें और लोअर ऑर्बिट के सैटेलाइट्स को नष्ट कर सकता है. रेंज: 600 किलोमीटर.
भारत को 5.4 अरब डॉलर का सौदा चाहिए, जिसमें 60 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हो. रूस की अल्माज-एंटे कंपनी के साथ जॉइंट प्रोडक्शन की बात चल रही है. अगर यह ऐलान हुआ, तो भारत की एयर डिफेंस सबसे मजबूत हो जाएगी. बीईएल जैसी कंपनियां इससे फायदा उठाएंगी.
अन्य हथियार और अपग्रेड: ब्रह्मोस से लेकर टैंक्स तक
S-400 अपग्रेड: बाकी डिलीवरी पर बात, साथ ही 280 अतिरिक्त मिसाइलें (3 अरब डॉलर का डील).
ब्रह्मोस मिसाइल: रेंज बढ़ाकर 800 किलोमीटर, नई जनरेशन ब्रह्मोस-एनजी. दो और रेजिमेंट्स.
Su-30MKI अपग्रेड: 100 जेट्स का बड़ा ओवरहॉल, 7.4 अरब डॉलर. HAL के साथ रूस पार्टनरशिप.
R-37 मिसाइलें: 200 किलोमीटर रेंज वाली एयर-टू-एयर मिसाइलें.
अन्य: स्प्रूट लाइट टैंक्स, पंतसिर सिस्टम, तलवार क्लास फ्रिगेट्स (ब्रह्मोस से लैस) और अकुला क्लास सबमरीन की डिलीवरी (2028 तक).
ये सौदे मेक इन इंडिया को बढ़ावा देंगे, क्योंकि ज्यादातर में लोकल प्रोडक्शन होगा.
डिफेंस सेक्टर पर असर: शेयर बाजार में उछाल की उम्मीद
ये ऐलान डिफेंस स्टॉक्स को बूस्ट देंगे. HAL, BDL, मझगांव डॉक और एलएंडटी जैसी कंपनियों के शेयर पहले से ही 5-10 फीसदी ऊपर हैं. विशेषज्ञों का कहना है, अगर Su-57 और S-500 पर डील हुई, तो सेक्टर में 20-30 फीसदी ग्रोथ हो सकती है. भारत की वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन चाहिए, लेकिन अभी सिर्फ 30 हैं. ये डील्स कमी पूरी करेंगी.
अमेरिका का दबाव, भारत की आजादी
अमेरिका ने CAATSA सैंक्शंस की चेतावनी दी है, लेकिन भारत ने कहा है कि वह अपनी जरूरतें खुद तय करेगा. पुतिन ने कहा कि मोदी ने अमेरिकी दबाव नहीं माना. यह डील चीन और पाकिस्तान को भी संदेश देगी. ऊर्जा क्षेत्र में भी बात होगी: रूस भारत को सस्ता तेल देगा. रुपे-मीर पेमेंट सिस्टम को लिंक किया जाएगा.
मजबूत साझेदारी का नया अध्याय
पुतिन-मोदी मुलाकात भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाई देगी. यह सिर्फ हथियारों का सौदा नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत का रोडमैप है. विशेषज्ञ कहते हैं कि ये ऐलान दक्षिण एशिया की सैन्य संतुलन बदल देंगे.
पुतिन का संदेश: भारत संग गर्मजोशी और अमेरिका को पावर शिफ्ट का संकेत — जानें 10 मुख्य पॉइंट
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिल्ली में हैं. भारत के दौरे में पुतिन कई अहम समझौतों पर पीएम मोदी के साथ बात करेंगे. जिसमें दुनिया के बदलते पावर बैलेंस, यूरोप और अमेरिका के साथ तनाव और भारत के साथ मजबूत संबंधों के फ्यूचर ब्लूप्रिंट सबपर पुतिन ने खुलकर बात की.
रूस की राजधानी मॉस्को के क्रेमलिन में इंटरव्यू में व्लादिमीर पुतिन ने हर एक सवाल का बेबाकी से जवाब दिया. दुनिया के लिए सख्त संदेश और भारतीयों को दोस्ती का पैगाम देते पुतिन ने इस इंटरव्यू में ये 10 मैसेज दिए.
बदलते वैश्विक समीकरण और भारत का महत्व
1. दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और वक्त के साथ उसके बदलने की रफ्तार तेज होती जा रही है. ये बात सब जानते हैं. नये समीकरण और नये पावर सेंटर बन रहे हैं. इन समीकरणों पर प्रभाव डालने वाली शक्तियां भी समय के साथ बदल रही हैं. ऐसे हालात में दुनिया के महान देशों के बीच स्थिरता बेहद जरूरी है और विश्व के लिए ये स्थिरता विकास की आधारशिला की तरह है.
चाहे ये दो देशों के बीच का मामला हो या फिर पूरे विश्व से जुड़ा, इस सिलसिले में प्रधानमंत्री मोदी के साथ हमारे संबंध बहुत अहम भूमिका निभाते हैं, ये न केवल हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए अहम है बल्कि हमारे पारस्परिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. कुल मिलाकर हमारा आपसी सहयोग हमारे लक्ष्यों की प्राप्ति की गारंटी है. प्रधानमंत्री मोदी, सरकार और देश के सामने कई लक्ष्य रख चुके हैं. मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट इस दिशा में एक बेहतरीन उदाहरण है. हम जब भी मिलते हैं वो हमेशा मुझसे कुछ न कुछ नया करने को लेकर बात करते हैं, उनकी सोच काम को लेकर बेहद व्यवहारिक है.
भारत की 7.7% विकास दर उपलब्धि
2. भारत एक बहुत विशाल देश है. ये 150 करोड़ लोगों का देश है. ये एक विकासशील देश है जहां विकास की दर 7.7 फीसदी है. ये प्रधानमंत्री मोदी की एक बड़ी उपलब्धी है. ये भारत के नागरिकों के लिए गौरव की बात है. ये सही है कि इसके बावजूद आलोचना करने वाले कह सकते हैं कि इससे बेहतर किया जा सकता था. पर परिणाम सबके सामने है. आने वाले समय में हम भविष्य को लेकर कई अहम क्षेत्रों में सहयोग के लिए तैयार हैं और उनमें से एक है हाई टेक्नोलॉजी. भारत और रूस स्पेस टेक्नोलॉजी, न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी से लेकर शिप बिल्डिंग, एयरक्राफ्ट बिल्डिंग और भविष्य को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं.
AI पर रणनीतिक चर्चा
उदाहरण के तौर पर आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस. हम इसे लेकर आगे और भी बात करेंगे. पर ये आज के दौर की वो टेक्नोलॉजी है जो आने वाला भविष्य तय करेगी. ये हमारी प्रगति को रफ्तार दे सकती है. पर ये भी सही है कि इसके साथ कई चुनौतियां जुड़ी हैं. हम प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर इन्हीं विषयों पर बात करेंगे और वो रास्ता चुनेंगे जो हमारे लिए आज के समय में सबसे बेहतर हो.
3. भारत के साथ हमारे उर्जा सहयोग पर इस तरह के अल्पकालीन राजनीतिक दबाव का असर नहीं पड़ता. भारत के साथ हमारा उर्जा समझौता बहुत पुराना और भरोसे पर टिका है. इसका यूक्रेन में हुई घटनाओं से कोई संबंध नहीं है, बल्कि हमारी एक बड़ी तेल कंपनी ने भारत में एक तेल रिफायनरी का अधिग्रहण किया है. ये किसी विदेशी कंपनी द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में अब तक के सबसे बड़े निवेश में से एक है. यहां हमने 20 बिलियन यूएस डॉलर से ज्यादा का निवेश किया. हमारी कंपनी अपने साझेदारों के साथ इस रिफायनरी पर सफलतापूर्वक काम कर रही है.
भारत बना बड़ा तेल सप्लायर
भारत मौजूदा दौर में यूरोप के बाजारों में बड़े स्तर पर तेल सप्लाई कर पा रहा है, क्योंकि वो हमसे सस्ती दरों पर तेल खरीद रहा है. लेकिन इसके पीछे हमारे दशकों पुराने संबंध हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये बात बहुत से लोगों को चुभ रही है की भारत रूस की मदद से तेल के बाजार का एक अग्रणी सप्लायर बन चुका है. और इसीलिए वो भारत को नए-नए राजनीतिक हथकंडों से परेशान कर रहे हैं. उसके विकास के रास्ते में रोड़े अटका रहे हैं.
कोई नहीं कर सकता भारत को नजरअंदाज
4. मैं समझता हूं कि भारत से आज दुनिया का कोई भी देश वैसे बात नहीं कर सकता जैसे आज से 77 साल पहले किया करता था. भारत आज एक शक्तिशाली देश है और वो पहले की तरह ब्रिटिश शासन के अधीन नहीं है और ये बात सभी को समझनी होगी. खासतौर से प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत अब विदेशी दबाव में नहीं आने वाला. भारत के लोग गर्व कर सकते हैं कि उनका प्रधानमंत्री किसी के दबाव में काम नहीं करता. साथ ही वो किसी के साथ टकराव का रास्ता भी नहीं अपनाते.
दरअसल, हम किसी के साथ भी टकराव नहीं चाहते. केवल अपने वैध हितों की रक्षा चाहते हैं. हमारा 90 फीसदी से ज्यादा लेनदेन हमारी राष्ट्रीय मुद्रा में होता है. हालांकि बिचौलियों को लेकर थोड़ी समस्या जरूर आती है. पर इसके लिए हम साझा व्यवस्था बना सकते हैं जहां रूस और भारत के बैंक बिना किसी रुकावट आपस में लेनदेन कर सकें. हम इस पर लगातार काम कर रहे हैं. एक बार ये व्यवस्था अमल में आ जाए तो व्यापार को लेकर बाहरी दबाव से जुड़ी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी.
भारत हमारा सबसे भरोसेमंद साझेदार
5. भारत हमारे सबसे भरोसेमंद साझेदारों में से एक है. हम सिर्फ भारत को अपने हथियार बेच नहीं रहे हैं और भारत इन्हें केवल खरीद नहीं रहा है. हमारे बीच ये संबंध इस सबसे ऊपर है. हमें ये आपसी सहयोग अच्छा लगता है. उतना ही जितना भारत को. और हम केवल हथियार ही नहीं बेच रहे बल्कि टेक्नोलॉजी भी साझा कर रहे हैं. रक्षा के क्षेत्र में ऐसा आमतौर पर नहीं होता. क्योंकि इसके लिए दो देशों के बीच अटूट विश्वास की जरूरत होती है. पर हमारा सहयोग यहीं तक सीमित नहीं है.
रूसी जंगी जहाजों का इस्तेमाल करता है भारत
उन्होंने कहा कि हम पानी के जहाजों से लेकर, मिसाइल और हवाई जहाज बनाने का काम साझा रूप से कर रहे हैं. आपने एसयू- 57 की बात की. पर भारत और भी कई तरह के रूसी जंगी जहाजों का इस्तेमाल करता है. साथ ही टी-90 टैंक जिन्हें भारत खुद बना रहा है. ये बेहतरीन टैंक हैं. और ब्रह्मोस मिसाइल भी. जिन्हें भारत रूस के साथ मिल कर मेक इन इंडिया मिशन के तहत बना रहा है. इसमें कलाश्निकोव रायफल भी शामिल हैं. हालांकि, यहां हम उन्नत टेक्नोलॉजी की बात कर रहे हैं. और इसीलिए युद्ध में आधुनिक हथियारों के इस्तेमाल को देखते हुए उनका महत्व कहीं ज्यादा बढ़ गया है.
द्विपक्षीय व्यापार में आई कमी
6. ये सही है कि साल के पहले नौ महीनों के मुकाबले अब भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार में कुछ कमी आई है, लेकिन इसे एक तरह के समायोजन के रूप में देखा जाना चाहिए. लेकिन कुल मिला कर भारत के साथ रूस का व्यापार लगभग पहले जैसा ही है. मैं इस समय महीने के हिसाब से सटीक आंकड़े नहीं दे सकता. पर रूस का भारत के साथ हाइड्रोकार्बन्स और तेल को लेकर व्यापार स्थाई रूप से जारी है. मैं इसे लेकर रूसी तेल कंपनियों और हितधारकों का मत अच्छी तरह जानता हूं. वो मानते हैं कि उनके भारतीय साझेदार पूरी तरह से भरोसेमंद हैं.
किसी के दबाव में नहीं आते पीएम मोदी
7. न मैं, न प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में आते हैं. हालांकि मैं ये भी साफ कर दूं कि हम अपना साझा काम कभी भी किसी के विरुद्ध नहीं करते. राष्ट्रपति ट्रंप की अपनी नीतियां और अपने सरोकार हैं और हमारे अपने. हम किसी के विरोध में नहीं हैं. रूस और भारत तो बस अपना साझा हित चाहते हैं. हम किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं चाहते। मुझे लगता है हमारी इस नीति की देशों को सराहना करनी चाहिए.
यूक्रेन का NATO से जुड़ना हमारे लिए खतरा
8. यूक्रेन को नाटो से जुड़कर अपनी सुरक्षा करनी थी और ये पहली बात रूस के लिए हानिकारक है. दूसरा ये कि हमने कोई भी ऐसी नाजयज मांग नहीं की थी कि ऐसा लगे कि सिर पर पहाड़ टूट पड़ा. हम सिर्फ इस उम्मीद पर हैं कि हमें वो मिले जो तय था, और ये हमने कोई कल ही सोचकर तय नहीं किया। ये सोवियत संघ के समय में तय हुआ था. 90 के दशक में ये हमारे लिए खतरा था, इसका सबूत हैं वो पहले दस्तावेज जिन पर हस्ताक्षर हुए. इसमें ये बात साफतौर पर लिखी गई जब यूक्रेन अलग हुआ तो उसने अपने आपको न्यूट्रल स्टेट घोषित किया.
ब्रिक्स बैंक और इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम
9. पुतिन ने ब्रिक्स समूह की क्षमता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हमें अपनी मुद्रा का इस्तेमाल करना चाहिए और ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक का इस्तेमाल व्यापक स्तर पर करना चाहिए.
पुतिन ने ग्लोबल साउथ के विकास के लिए एक निवेश प्लेटफॉर्म बनाने का सुझाव दिया. यह प्लेटफॉर्म कारोबार के लिए इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का इस्तेमाल करेगा और इसकी शुरुआती क्षमता सौ बिलियन डॉलर की हो. मैं ये मानकर चल रहा हूं कि ये बहुत शानदार होने वाला है. इससे जो लाभार्थी देश होंगे, उनका तो भला होगा ही, इसमें हमारा भी लाभ है. हम सस्ते दामों में उच्च गुणवत्ता वाले सामान बना सकते हैं. इससे ग्लोबल साउथ के देशों का विकास होगा, हमारा लाभ भी होगा.
उन्होंने कहा कि आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम का तेजी से विकास हो रहा है और ये किसी को खत्म करने के लिए नहीं हो रहा है. सबको तालमेल के साथ काम करना होगा.
भारत-चीन मामलों में हस्तक्षेप से इनकार
10. पुतिन ने भारत और चीन दोनों को अपना सबसे करीबी मित्र बताया. उन्होंने साफ कर दिया कि वह उनके द्विपक्षीय मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. पुतिन ने कहा कि वह जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग जटिल और विवादित मसलों पर किसी नतीजे तक जरूर पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि दोनों नेता तनाव से चिंतित हैं, समस्या का समाधान चाहते हैं और प्रयास कर भी रहे हैं और वे नतीजे पर भी पहुंचेंगे. रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि मैं नहीं समझता कि मुझे हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, ये द्विपक्षीय मामले हैं.
भारत खुशकिस्मत है कि वहां मोदी हैं’, पीएम की तारीफ में बोले पुतिन
अपने भारत दौरे से पहले पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की जिसमें उन्होंने कई वैश्विक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखी. पुतिन से पूछा गया कि उनके कार्यकाल में भारत-रूस रिश्तों को मजबूत बनाने में किस भारतीय प्रधानमंत्री ने सबसे ज्यादा फर्क डाला है. जवाब में उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके बेहद भरोसेमंद और दोस्ताना संबंध हैं और वे उन्हें एक ईमानदार व विश्वसनीय नेता मानते हैं. पुतिन ने कहा कि ‘भारत खुशकिस्मत है कि पीएम मोदी हिंदुस्तान में रहते हैं. वो भारत में सांस लेते हैं.’
